प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 19)
देहरादून-मसूरी की नागिन जैसी नाचती सड़कों पर क्रेकर फुल स्पीड में दौड़ा चला जा रहा था। टेढ़े-मेढ़े लोचदार सड़क पर भी वह अच्छी पकड़ जमाये हुए चला जा था। अनि आगे बैठा हुआ था, अरुण उसके पीछे! मगर दोनों आपस में कोई बातचीत नहीं कर रहे थे। तभी अनि का फोन घनघना उठा! अनि ने किसी तरह करके जेब से फोन निकाला, और उठाकर कान से लगा लिया। यह कॉल पियूषा का था।
"हेलो!" उधर से पियूषा का स्वर उभरा।
"हेलो मिस प्याऊ जी!" अनि के स्वर में वह दर्द था जो किसी बच्चे को उसके बिना किसी गलती के भी सजा मिलने पर होता है।
"कहाँ हो तुम!" पियूषा ने सख्त स्वर में पूछा।
"पनघट पर, प्यास बुझा रहा हूँ तन-मन की!" अनि ने बेबाकी से बेतुका सा जवाब दिया।
"अबे चिलगोजे! ढंग से नहीं बता सकता कुछ?" पियूषा गुस्से से फट पड़ी। "बाये!"
"ढंग से ही तो बता रहा हूँ, तुम ही गुस्सा कर रही हो!" वह अपने स्वर में जमाने भर की मासूमियत भरकर बोला।
"कोई बात नहीं कर लो तुम अपने नखरे।" कहते हुए पियूषा ने गुस्से से फ़ोन काट दिया।
"क्या ज़िंदगी है यार! आफत पर आफत…!" झुंझलाते हुए अनि ने फोन को जबर्दस्ती जेब में ठूसने लगा, तभी दुबारा पियूषा का कॉल आ गया।
"खाना खाया तुमने!" उसने सख्त स्वर में पूछा।
"बिल्कुल! हम तो खा पी के सिधार चुके हैं! अपना बताईए मिस प्याऊ जी! हमारे पप्पा जी हम पर कब तक यूँ ही जुल्म करते रहेंगे!" बोलते-बोलते अनि रोने सा लगा।
"जब तक तुम उन पर जुल्म करते रहोगे! वे जैसा चाहते हैं वैसा बन क्यों नहीं जाते तुम!" पियूषा दहाड़ी, वह वाकई उसके लिए चिंतित हो रही थी।
"कैसे बन जाये? .. अच्छा ठीक है! ठीक है! अब से हम भी घासलेट रोटी खाएंगे! मिलते है बाद में।" कहते हुए अनि ने कॉल कट कर दिया। इस वक़्त उसके चेहरे पर गजब की खुशी थी।
"हमेशा यही करते रहते हो?" अरुण ने कहा।
"मैंने क्या किया?" अनि ने अनजान बनते हुए कहा। अरुण समझ गया इससे कुछ बोलना ही बेकार है।
"बकवास मत करो, जल्दी वहां ले चलो जहां तुमने किसी ट्रक को पकड़ा था।" अरुण गुर्राया।
'यहां सबको शेर बिल्ली ही बनना है, तुम्हें इंसानो वाली सूरत देना ही भगवान की गलती है, क्या गत बना दी है मुझे जैसे मासूम की।' अनि अपने-आप में बुदबुदाया।
क्रेकर की रफ्तार बढ़ती चली गई, पहाड़ियों को उतरते चढ़ते शीघ्र ही मसूरी पहुंच गए। अनि उस रास्ते को ढूंढ रहा था जो ज्वाला जी मंदिर की ओर जा रहा था। उसने क्रेकर को वहीं रोक दिया और चारों तरफ घूम घूमकर देखने लगा।
"क्या हुआ?" अरुण ने पूछा।
"सरकार अब तो जिंदगी बेकार हो गयी!" अनि अपने हाथों नचाते हुए बोला।
"मैंने कहा न मुझसे साफ साफ शब्दों में बात किया करो!" अनि की इस हरकत ने अरुण को फिर से गुस्सा दिला दिया था।
"साफ साफ बात ये है मिस्टर बर्बादी कि हमारा यहां आना बर्बाद हो गया, हमको वो रास्ता नहीं मिल रहा है जिससे हम अपनी मंजिल तक पहुँचे। ये बोर्ड भी देहरादून का रास्ता दिखा रहा है।" डायरेक्शन बोर्ड को देखते हुए अनि ने भारी स्वर में कहा, जैसे उसका सबकुछ लूट गया हो।
"तो मोटरसाइकिल डाइरेक्शन बोर्ड के पीछे रोकते न, आगे खड़ा करने की जरूरत थी?" अरुण ने घूरते हुए कहा, इससे पहले वे दोनों कोई और हरकत करते वहां से एक ट्रक गुजरा। अनि को अपने रिर्प पर हल्की सी घनघनाहट महसूस हुई, अरुण एक अल्ट्राविज़न दूरबीन से ट्रक को देख रहा था।
"देख क्या रहे हो ये तो वही है जिसकी हमें तलाश है!" अनि क्रेकर की ओर लपका।
"मैं देख चुका हूँ!" कहते हुए अरुण ने उस के पीछे दौड़ लगा दी।
'यार मेरे साथ बैठने में कोई घाटा था क्या, छोड़ो भी मेरा क्या जाता है।' अनि खुद से बुदबुदाया, उसके हाथ एक्सीलेटर पर कस चुके थे।
अरुण ट्रक के पीछे बहुत तेजी से भाग रहा था मगर ट्रक की गति उसकी अपेक्षा अत्यधिक तेज थी, धीरे धीरे वह थकने लगा, अनि उसके पास पहुँचने ही वाला था, तभी अचानक ही उसे पता नहीं क्या सुझा वह सड़क के बजाए पहाड़ी की ओर दौड़ने लगा।
'अब तो पक्का है ये बन्दा अपने नौकरी के गम में बौरा गया है, नहीं तो कौन यहां मेरी तरह आराम से पीछा करने के बजाए इसकी तरह पहाड़-पहाड़ खेलता।' अनि ने अपना माथा पीटा, अब वह ट्रक के काफी करीब पहुँच चुका था। अचानक उसका रिर्प फिर से घनघनाने लगा।
'सिग्नल! ओ माय गॉड!" अनि ने जो देखा उसपर उसे यकीन नहीं हो रहा था, उसने क्रेकर को वहीं रोक लिया। ट्रक ढलान पर चलते हुए अर्द्धवृत्ताकार मोड़ पर मुड़ रहा था। अरुण उसके ठीक ऊपर की पहाड़ी पर था वह तेजी से दौड़ते हुए ट्रक पर कूद गया। धम्म के स्वर ने अनि का ध्यान आकर्षित किया।
"ओ नहीं! ये क्या कर रहे हो तुम?" वह चीखा, अनि के रिर्प में ट्रक में से डेंजर के रेड सिग्नल आ रहे थे।
"तुमने कुछ कहा क्या बच्चे! सीखो कुछ ऐसे किया जाता है ये।" अरुण को अनि की आवाज नहीं सुनाई दे रही थी, वह अपने ही धुन में मग्न था। वह ट्रक को कसकर पकड़े हुए ड्राइविंग डोर की तरफ बढ़ रहा था।
"अगर इसके साथ रहा तो किसी दिन मरवाएगा ये मुझे! अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई है बहुहूहू….!" अनि ने झूठमूठ की रोनी सूरत बनाते हुए कहा।
"मगर तुमने तो कहा था कि तुम ब्रह्मचारी हो!" क्रेकर का मशीनी स्वर उभरा।
"चुप चुप एकदम चुप! मैंने कहा था न बीच में मत बोलना, इतना अच्छा मूड बन रहा था सब खराब कर दिया तुमने!" अनि बिफर पड़ा। "अभी तो मुझे मिस्टर बर्बादी को हमें बर्बाद करने से रोकना होगा।" वह ट्रक के जितना करीब पहुंचता जा रहा था डेंजर के अलर्ट सिग्नल हाई होते जा रहे थे।
अरुण ट्रक के केबिन की छत पर पहुँच चुका था, वह सरकता हुआ ड्राइविंग डोर तक पहुंचा, उसके हाथ में उसकी पिस्तौल नजर आने लगी, उसने पूरी ताकत से डोर के कांच पर वार किया और तब तक करता गया जब तक वह बिखर नहीं गया। ड्राइवर उसे देखते ही घबरा गया, उसके चेहरे पर डर का भाव स्पष्टया दिखाई देने लगा।
"कौन है तुम्हारा साथी?" अरुण ने अंदर घुसते हुए पूछा।
"लुटेरे… च..चोर!" ड्राइवर बुरी तरह हकलाने लगा, उसके चेहरे पर पसीना चुहचुहाने लगा।
"मैं कोई चोर नहीं हूँ मिस्टर! तुम्हारे पास नाटक करने के लिए एक मिनट का समय है, अब जल्दी अपना मुंह खोलो या सीधे नरक पहुँचो।" अरुण ने उसकी कनपटी पर पिस्तौल तानते हुए कहा।
"म..मुझसे क्या चाहते हो तुम?" वह बुरी तरह से घबरा गया था, उसकी ड्राइविंग सीट अब तक गीली हो चुकी थी, देखने से यह पक्का था कि उसने अपनी ज़िंदगी में पहली बार पिस्तौल को इतने करीब से देखा था।
"मुझे तुम्हारें आका के बारे में जानकारी चाहिए! उस कुत्ते को कुत्ते की मौत मारने के लिए मेरा दिल कब से मचल रहा है।" अरुण गुस्से से भरा हुआ था, यह देखकर ड्राइवर डर से कांपने लगा। अरुण ने महसूस किया ट्रक में अचानक ही गर्मी बढ़ने सी लगी थी, पर उसने उसपर ध्यान न देकर ड्राइवर से सच उगलवाने की कोशिश कर रहा था।
"बोलो" अरुण गुर्राया, मगर ड्राइवर के मुंह से कोई शब्द नहीं निकले।
"ठीक है यमराज को जाकर मेरा हाय कहना!" अरुण की गोली अब बस उसकी कनपटी को चीरकर मृत्यु द्वार तक पहुचाने ही वाली थी कि अरुण का ध्यान ट्रक की ओर गया। जो दोनों को लेकर यमराज के पास पहुँचने को बेसब्र हो रही थी।
क्योंकि डर के मारे ड्राइवर का ध्यान भी ड्राइविंग से हट चुका था, ट्रक अब खाई की ओर बढ़ती चली जा रही थी। अरुण की लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, ट्रक का ब्रेक, स्टीयरिंग, एक्सीलेटर सब जाम हो चुका था। ट्रक अब खाई में गिरने ही वाली थी, तभी टूटे हुए ड्राइविंग डोर के पास अनि नजर आया, वह अरुण को आवाज दे रहा था मगर वह उसे सुन ही नहीं रहा था। अनि उछला और दोनों को लेते हुए दूसरे साइड के दरवाजे से टकराया और उसे तोड़ते हुए वह, उन दोनों को लेकर दूसरी ओर गिरने लगा। ट्रक खाई की ओर बढ़ चली, वे तीनों धड़ाम से सड़क पर गिरे।
"इतना बहरा होना भी ठीक नहीं! कभी तो मेरी बात सुन लिया करो!" अनि गुस्से से बोला, उसके हाथ पांव छिल गए थे।
"तुम्हें पता है मुझे फिर भी कुछ नहीं होता!" अरुण, अनि की ओर देखे बिना बोला। तभी वहां जोर का धमाका हुआ, वहां का जर्रा-जर्रा उस धमाके से थर्रा गया। थोड़ी देर तक वहां गिरने की आवाजें आईं, आग की लपटें अब भी भभक रहीं थी।
"इस बार ऐसा नहीं होता, तुम्हारें थोड़ी देर और रहने पर ये ट्रक और पहले फट जाता।" अनि ने उसे कनखियों से झांकता हुआ बोला।
"क्या मतलब?" अरुण ने आश्चर्य से पूछा। उसने देखा ट्रक के टुकड़े अब भी नीचे गिर रहे थे, जिसका मतलब यह था कि ट्रक हवा में ही फट चुका था।
"मतलब ये कि तुम्हारे सम्मानित शत्रु जी को भी पता है कि तुम ऐरे गैरे नत्थू खैरे नहीं हूँ! बस बात बात पर नाक रगड़कर लाल कर लेते हो, इस ट्रक में कोई ऐसा सिस्टम लगा था जो केवल तुम्हारे लिए बना हुआ था, तुम ट्रक के जितना करीब जाते यह ट्रक उतना ही जल्दी फट जाता।" अनि ने समझाते हुए कहा।
"इसका क्या मतलब? कोई मेरा DNA उसे कर रहा है?" अरुण ने पूछा।
"मुझे नहीं पता, पर ऐसी कई मिसाइल्स बन चुकी हैं जो लॉक्ड करने पर उसी चीज का पीछा कर वार करती है। मगर ये उससे अलग था, यह तुम्हें सेंस करके हीट हो रहा था और उसके बाद इसका इंजन फट गया। मतलब बिना किसी बम-बारूद के भी, ये जो भी चीज है उसकी मदद से इस ट्रक को ही अपना हथियार बना लिया हैं।" अनि ऐसे बताने लगा जैसे कोई स्पेशलिस्ट हो।
"ठीक है, अपना ज्ञान अपने पास ही रखो, अभी हमारे पास एक सुबूत तो है न?" अरुण ने ड्राइवर की ओर देखा, ड्राइवर अपने जगह पर नहीं था वह भागने की कोशिश कर रहा था।
"छिछिछि….! कभी अपने कपड़े साफ नही करते क्या डरेवरजी!" अनि ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा, डर के मारे उस बेचारे से दौड़ा तक भी नहीं जा रहा था।
"म..मैंने कुछ नहीं किया है। मुझे मत मारो!" वह कांपते हुए स्वर में बोला।
"अजी हम कहाँ मार रहे हैं किसी को, बस जो जो सवाल पूछेंगे नही बताओगे तो हम बर्बादी जी के हाथों सौंप देंगे आपको। अब आपको बर्बाद होना है या आबाद रहना है ये आपकी मर्जी!" अनि अपने हाथ नचाकर इठलाते हुए बोला।
"मैंने कुछ नहीं किया… मैंने कुछ नहीं किया!" काँपते हुए वह सड़क के एक किनारे गिर गया।
"तो जिसने किया है उसका बताओ न!" अनि ने पुचकारते हुए कहा।
"मैं शाम अपने घर से ठेके की ओर जा रहा था, मुझे दारू के लिए पैसे चाहिए थे, दारू नहीं मिलने पर मेरी हालत खराब हो रही थी, पर मेरी जेब खाली थी, मैं ठेके पर बैठा हुआ था तभी नकाब पहने एक आदमी आया उसने मुझसे कहा कि मैं ये ट्रक मसूरी पार करा दूं तो मुझे महीने भर फ्री में दारू पिलायेगा, और जब तक कोई मेरे पीछे न लगे मुझे ट्रक को मसूरी में ही घुमाते रहना है। उसने मुझे खूब दारू पिलाई और कुछ बोतल ट्रक में भी रखवा दिया। अब मुफ्त की दारू किसे नहीं चाहिए…!" उस ड्राइवर ने रोते हुए कहा।
"तुमने देखा वह आदमी कैसा था?" अनि ने प्यार से पूछा।
"नहीं! उसने नकाब पहने हुए था और मुझे बस दारू से ही मतलब था जो मुझे मिल ही रही थी, मुझे और क्या चाहिए था भला..!" उस ड्राइवर ने कहा, उसकी आँखें अब भी लाल थीं।
"शराब पीने की इस लत ने तुम्हें मौत के मुंह में ला दिया, तुम्हारे बाद तुम्हारे बीवी बच्चों का क्या होता?" अरुण गुस्से से गुर्राया। "शराब नहीं अपनी जिम्मेदारियों के पीछे भागों।"
"मैं कसम खाता हूं सरकार! अब से दारू हाथ तक नहीं लगाऊंगा।" कहते हुए उसने अपने पेंट में रखा हुआ एक पौव्वा निकाला और फेंक दिया।
"ठीक है तुम जाओ! और हां अपनी कसम मत भूलना।" अरुण ने उसे जाने का इशारा करते हुए बोला। अरुण की परमिशन मिलते ही वह वहां से ऐसे भागा जैसे तीर, कमान से छूटने के बाद भागता है।
"किस्सा तो वहीं का वहीं रह गया, आखिर इतनी शातिराना हरकतों से वो जाहिर क्या करना चाहता है?" अनि का दिमाग घूम रहा था।
"आखिर ये कुत्ते का पिल्ला करना क्या चाहता है?" अरुण पिस्तौल से अपना सिर खुजाते हुए बोला।
"तुम्हें काटना चाहता है वो भी बिना भौंके! अगर उसे ये पता था कि तुम यहां आओगे और उसने मुझे मारने के लिए इस ट्रक की व्यवस्था की इसका मतलब उसका माल भी यहीं मसूरी से होकर गुजरने वाला है।" अनि ने अंदाजा लगाते हुए कहा।
"गुजरने क्या वाला है? आधी रात गुजर चुकी है।" अरुण जल रहे ट्रक की ओर झाँकते हुए बोला।
"मतलब ही तो समझ नहीं आ रहा है, अब तक सिर्फ तुम्हें मारने की कोशिश की गई है। मगर तुम किस्मत से बचते आये हो!"
"किस्मत से नहीं मिस्टर अनि! अपनी हिम्मत से, अपनी हिम्मत के दम पर मौत से जीता जाता है, किस्मत तो बस एक बेवकूफी है!"
"तुनसे कुछ बात करना उससे भी बड़ी बेवकूफी।"
"तुमको अपने साथ रखना इससे भी बड़ी बेवकूफी!"
"ओ मिस्टर! जुबान को लगाम दो, मुझे तुमने अपने साथ नही रखा है, तुम मेरे साथ हो!"
"कुछ भी हो, तुम्हारी बकवास तो झेलनी पड़ रही है न!"
"ठीक है मिस्टर बर्बादी! तुम अपने रास्ते जाओ अनि अपने रास्ते जाएगा।"
"तुम्हारे लिए यही बेहतर बच्चे!" अरुण ने गुस्से से कहा और जंगल में गायब हो गया।
"गजब का एहसानफरामोश इंसान है यार! इस बार तो पक्का जान बचाई थी मैंने उसकी मगर बिना बात के मुझे गुस्सा दिला रहा है!" अपने आप से बात करते हुए अनि क्रेकर की ओर बढ़ा। "मगर शायद मुझे उसकी जरूरत पड़े। नहीं! बिल्कुल नहीं, मैं उसे दिखा दूंगा कि उसका खुदपर घमण्ड करना कितना गलत है!"
क्रेकर तेजी से मसूरी की ओर बढ़ चला, यह रात अपने साये में बहुत से राज छुपाए बैठी थी।
क्रमशः….
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
14-Aug-2022 02:22 AM
वाओ! पूरा भाग सस्पेंस,एक्शन, रोमांच और कॉमेडी😂😂 से भरा हुआ था 👌🏻👌🏻 पढ़कर बड़ा मजा आया। डायलॉगस, वातावरण सब कुछ शानदार है। लिखने के तरिके में भी ध्यान दिया गया है, और कल्पना शक्ति तो गज़ब ही उड़ान भर रही है आपकी। जिस टेक्नोलॉजी का जिक्र किया गया है, क्या कहे। ऐसा लगता है अपनी कल्पनाओं में भविष्य के दर्शन करके आये है आप। अरुण और अनि क्या गज़ब करैक्टरस है 😂😂 इनकी जितनी तारीफ करो उतनी कम है। कंडीशन कैसी भी हो, हौसला और खुद पर विश्वास दोनों का एक पर्सेंट भी कम नहीं होता। हर शेर को एक सवा सेर जरूर मिलता है 😂😂 अनि और अरुण के एक दूसरे के मिलने से यह बात पता लग रही है। पियूषा का करैक्टर भी बहुत प्यारा है। गुस्से में भी उसे चिंता है अनि की। जब बाइक तक कॉमेडी डायलॉग मारती है तो गज़ब मजा आता है 😂😂 वैसे इतना अंदाजा लगा सकती हूँ, की यह भाग लिखने में मजा भी खूब आया होगा और थकान से हालत भी खराब हुई होगी। पढ़ते समय ऐसा लग रहा था, राइटर ने कहानी में जान डालने में अपनी अच्छी खासी बैंड बजाई है। वैसे हीरोज की क्या ही बात करे, विलन तक भी कम नहीं है। यहाँ ये कहो, एक भी करैक्टर अपने आप में कम नहीं है। हर पात्र के साथ पूरी तरह न्याय किया है राइटर ने। देखते है अगले भाग में और कौन से नए रोमांच है। वैसे ये कनखियों से झाकना क्या होता है 🤔🤔
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Seema Priyadarshini sahay
29-Nov-2021 04:29 PM
बहुत बढ़िया फैंटेसी स्टोरी
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Niraj Pandey
15-Nov-2021 09:13 PM
बहुत ही बेहतरीन
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